काश लालू जान पाता कि बफादारी के साथ-साथ आज्ञापालन भी बहुत जरूरी है-कहानी/संस्मरण

काश लालू जान पाता कि बफादारी के साथ-साथ आज्ञापालन भी बहुत जरूरी है-कहानी/संस्मरण


काश लालू जान पाता कि बफादारी के साथ-साथ आज्ञापालन भी बहुत जरूरी है-कहानी/संस्मरण


एक गांव में गंगासागर नाम की जगह पर हमारा एक छोटा सा घर है। एक बार मेरे घर में एक भोज का आयोजन किया गया था। भोज की जूठी पत्तल भेकनें के स्थान पर बहुत से कुत्ते और उनके बच्चे (पिल्ले) आकर जूठन खा रहे थे। रात में सारे कुत्ते उन पत्थरों से भोजन ढूंढ ढूंढ कर खाते रहे सुबह जब मैंने उठकर देखा तो सारे कुत्ते वहां से जा चुके थे। सिर्फ एक छोटा सा लाल रंग का पिल्ला वहीं पर बैठा हुआ था। हम लोगों ने उसको भगाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह वापस घूम-घाम कर हमारे घर पर ही आ जाता था। फिर हम लोगों ने उस पिल्ले को अपने घर पर ही रख लिया । उसको रोज खाना खिलाने लगे और बहुत सी बातें सिखाने लगे जैसे-आवाज दे कर बुलाने पर पास आ जाना, बैठना, उठना, खेत से जानवरों को भगाना आदि।

 धीरे-धीरे वह हमारे परिवार का हिस्सा बन गया। उसका लाल रंग होने के कारण हम लोगों ने उसका नाम लालू रख दिया। लालू हम लोगों के साथ बगीचे से बंदरों को खदेड़ने लगा, खेत से जानवरों को भगाने में मदद करने लगा। परिवार का कोई भी सदस्य लालू को बस एक आवाज देता था और वह दोड़कर उसके पास आ जाता था।

लालू हमारे परिवार से पूरी तरह घुल मिल गया था। वह घर के सदस्यों के साथ खेलता और लाड करता था। जब कभी हम लोग उसको खाना देना भूल जाते थे तो वो दरवाजे पर आकर अपने सिर से दरवाजे को धक्का देकर हम लोगों को बता देता था। इसी तरह लालू धीरे-धीरे बड़ा होता गया।
जब भी कोई घर के पास से निकालता लालू भौकते हुए उसको वही रोक लेता था। इसलिए लोग छोटी मोटी चीजें चुराकर ले जाने से भी डरने लगे। रात में खेत की रखवाली के लिए भी अब जागना नही पड़ता था। सब कुछ अच्छा चल रहा था। 

एक दिन लालू अपने मुंह में किसी मरे हुए जानवर का मांस दबा कर घर के पास ले आया। मेरे छोटे भाई ने  उससे चिल्लाकर बोला,"लालू,उठाओ इसको।" "इसे दूर फेककर आओ।" लालू ने उस मांस के टुकड़े को मुंह में दबाया और घर से दूर ले गया। 

गांव के लोग घर पर आते थे तो लालू उन पर खूब भौकता लेकिन जैसे ही घर का कोई भी सदस्य बोलता "लालू बस। " तो वह भौकना बन्द कर देता था। वह घरवालों की सब बात मानता था। 

एक बार गांव के ही एक पंडित जी घर पर आए। लालू भौकते हुए उनके पास गया। पापा ने पीछे से आवाज लगाई, "लालू बस, बस लालू।" लेकिन इस बार उसने बात नहीं मानी और भौकता ही रहा। पापा ने कई बार उसको रूकने के लिए बोला लेकिन वो नही रूका। पंडित जी वही एक सी जगह पर डरते से खड़े थे। पापा ने उन पंडित जी से बोला कि आप आ जाओ वो कुछ नहीं बोलेगा। जैसे ही पंडित जी आगे बढ़े लालू ने उनके पैर को अपने जबड़े में भर लिया। ये देखकर पापा ने पास मे पड़ा डंडा उसको दे मारा। लालू किकयाते हुए भाग गया। पंडित जी के पैर से खून निकलने लगा था। उनको मोटरसाइकिल पर बिठाकर पास के अस्पताल से दवा दिलवाई। 

उस दिन सारे घरवाले बहुत अचम्भित थे क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था कि लालू ने बात नहीं मानी। पूरे दिन उसको कुछ खाने को भी नहीं दिया गया। फिर कुछ दिन तो सब ठीक था लेकिन एक दिन फिर से लालू ने बात नहीं मानी और एक गांव वाले को काट लिया।  अब ऐसा कई बार होने लगा था जब लालू बात नहीं मानता था।

मेरी बहन की शादी आने वाली थी। लोगों ने बोला कि लालू को कहीं दूर छोड़ कर आ जाओ नहीं तो यह लोगों को और रिश्तेदारों को काटेगा। हम लोग लालू को दूर करना नही चाहते थे, इसलिए हम लोगों ने दूसरे उपाय सोचे। एक चैन से उसको बांध दिया गया। लेकिन यह भी जादा दिन नही चल पाया। उसने दातों से कतर-कतर कर और खीच-खीच कर चैन को तोड़ लिया। अगली बार हम लोग चैन मोटी लेकर आए। अबकी बार चैन तो नहीं टूट पायी लेकिन वह जोर जोर से चिल्लाता रहता था। एक बार तो उलझा के उसने अपनी गर्दन को बुरी तरह फसा लिया था। आखिर में उसको दूर छोड़कर आने का फैसला  लिया गया। उसको ट्रेक्टर में बिठा कर पास के एक जंगल में छोड़ दिया।

काश लालू जान पाता कि बफादारी के साथ-साथ आज्ञापालन भी बहुत जरूरी है-कहानी/संस्मरण


 लालू के जाने से सारे घरवाले बहुत दुखी थे। किसी ने भी उस दिन ठीक से खाना भी नहीं खाया। सब सोच रहे थे काश लालू बात मानता रहता और एेसा नही करता तो उसको दूर नहीं करना पड़ता। मालिक की बफादारी के साथ-साथ उससे भी जरूरी चीज होती है मालिक की आज्ञा का पालन करना। हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे प्रिय भक्त इसलिए हैं, क्योंकि महा शक्तिशाली होने के बावजूद भी वो भगवान श्री राम की आज्ञा का पालन करते हैं। 

 कुछ दिन में ही बहिन की शादी आ गई। सब लोग लालू को भुलाकर शादी की तैयारी में जुट गये। शादी के सारे कार्यक्रम घर से ही सम्पन्न हुए। बहिन की विदाई के बाद घर का सामान समेटा गया। जूठी पत्तलो के पास बहुत सारे कुत्ते घूम रहे थे। सब कुत्तो को वहां से भगाया गया लेकिन एक पिल्ला वहां से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। वही लाल रंग का पिल्ला जैसा तीन साल पहले लालू आया था। 
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मम्मी हाथ में रोटी लिए चारों तरफ देख रही थी। फिर वहीं तखत पर बैठते हुए बोली, "पता नहीं कहां चला गया।"
पापा बोले,"आवाज लगा के बुला लो।" 
मम्मी ने आवाज़ दी, "लालू, लालू लालू।" 
खेत के दूसरे कोने से भागता हुआ लालू मम्मी के पास पहुंच गया। 
मम्मी ने हाथ में रखी हुई रोटी उसके सामने रख दीं। 

Shree Gangasagar

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है सत्येंद्र सिंह founder of ShreeGangasagar.com

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