भारत में निजीकरण कितना लाभदायक है?

भारत में निजीकरण कितना लाभदायक है?

          आज सुबह श्री गंगाराम जी अखबार का पन्ना पलटते हुए बोले, "यह सरकार तो देश को बेच कर ही मानेगी।" मैंने पूछा, "गंगाराम जी क्या हुआ?"  "आप ऐसा क्यों बोल रहे हो।"  तो उन्होंने बताया कि 'सरकार निजीकरण(Privatization) करने में लगी हुई है। इससे तो सरकारी संस्थाएं निजी हाथों में चली जाएगी और देश बर्बाद हो जाएगा।'
      बहुत से लोगों के ऐसे ही विचार हैं और वो भी श्री गंगाराम जी की तरह निजीकरण को अनुचित मानते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि अगर निजीकरण सही तरीके से किया जाये तो   यह भारत के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है।

privatization in india.
             
         क्या हम मेट्रो, एअरपोर्ट, स्मार्टसिटी आदि को विकसित करने में निजीकरण की भागीदारी को नजरअंदाज कर सकते हैं? 
        क्या आपको लगता है कि अगर विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में निजीकरण ना हुआ होता तो आज हर गांव तक बिजली पहुंच पाती?
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 Privatization या निजीकरण है क्या?

      निजीकरण का मतलब है, किसी परियोजना का स्वामित्व सरकारी हाथों से किसी निजी कंपनी या संस्था को हस्तांतरित करना। 
अब यह कई तरीकों से किया जा सकता है या यह कहे कि इसके कई मॉडल हैं- 

१. पार्टनरशिप

      इस मॉडल को PPP या 3P मॉडल अर्थात पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (Public Private Partnership) मॉडल भी कहते हैं। इसमें सरकार और निजी संस्था दोनों की भागीदारी होती है। 
NHAI (Naitional Highway Authority of India), कई विद्युत विभाग से जुड़ी संस्थाएं और बन्दरगाह तथा Port  से संबंधित संस्थाएं इसी मॉडल पर सफलतापूर्वक कार्यरत हैं।

२. आंशिक निजीकरण 

       इस मॉडल में सरकार का Major Stake रहता है। परियोजना का प्रबंधन सरकार के हाथ में रहता है जबकि उसका संचालन और कार्यवाहन निजी संस्था द्वारा किया जाता है। इसमे टेन्डर आदि के माध्यम से निजीकरण या Privatization होता है।

३. पूर्ण निजीकरण 

       इसमें सारे Share सरकार द्वारा निजी कंपनी या संस्था को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। इस प्रकार उस परियोजना पर निजी संस्था का पूर्ण स्वामित्व हो जाता है।

भारत में निजीकरण (Privatization) की शुरुआत 

          आईये अब थोड़ा सा इतिहास जान लेते हैं। भारत में सन् 1991 से पहले तक लाइसेंस राज्य चलता था। वित्तीय घाटा रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था। 1991 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव की सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री डा़ मनमोहन सिंह जी ने एक ऐतिहासिक बजट पेश किया। इस बजट को नाम दिया गया अर्थव्यवस्था का LPG Model । 
LPG मतलब Liberalization, Privatization and Globalization.  इसके तहत बहुत सारे प्रतिबंध हटाये गए और देश में बहुत सारी विदेशी कंपनियों ने भी निवेश किया जिससे बेरोजगारी दर कम हुई जो कि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। यही से Privatization या निजीकरण की शुरुआत हुई। 

Loss Making PSUs

       चलो अब मुद्दे की बात पर आते हैं मैं पिछले पांच-छह वर्षों से शेयर मार्केट में एक्टिव हूं। इसमें अधिकतर मार्केट गुरु PSUs या पब्लिक सेक्टर कंपनी में पैसा invest करने के लिए मना करते हैं। कारण है कि इस सेक्टर में ग्रोथ या तो होती ही नहीं है या बहुत कम होती है। ज्यादातर पब्लिक सेक्टर कंपनी लॉस मेकिंग ही होती है और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। 

 निजी और सरकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में अंतर

भारत में निजीकरण के लाभ



1. निर्णय/Decision Making -  निजी संस्थाओं में निर्णय Growth को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं। इसके लिए एक सही तरीके का Feedback सिस्टम भी बनाया जाता है, ताकि जहां जरूरी हो वहां सुधार भी किए जा सकें।
       सरकारी संस्थाओं के निर्णय आगामी चुनाव में लोगों को लुभाने के उद्देश्य लिए जाते हैं। भारत में कोई ना कोई चुनाव चलता ही रहता है। अतः सत्तारूढ़ पार्टी की यह कोशिश रहती है कि ऐसे कोई निर्णय ना लें जिससे लोग रूष्ट हो जाएं और उनके वोट बैंक पर असर पड़े। अक्सर संस्था की ग्रोथ के लिए जरूरी निर्णय नही लिए जाते।
       इसको एक उदाहरण से समझते हैं -  पूरे भारत में भारतीय डाक के कार्यालय हैं जो ग्रामीण से लेकर शहरीय क्षेत्र को पूरा cover करते हैं। जब भारत में Amazon और flipcart जैसी E-commerce compony शुरू हुई थी तो उनको अपनी delivery पहुंचाने के लिए ऐसे ही नेटवर्क की जरूरत थी। अगर थोड़ी सी तकनीकी और सुधार करके  भारतीय डाक सेवा उनकी इस जरूरत को पूरा करती तो इससे काफी मुनाफा हो सकता था क्योंकि इसके लिए आधारभूत ढांचा पहले से मौजूद था। लेकिन ऐसा निर्णय लेने से हो सकता है कर्मचारियों का विरोध भी सरकार को झेलना पड़ता और वोटों पर भी असर पड़ता।

2. योग्यता/Qualification of Employees-   यह वह तो आप को मान्य पड़ेगी कि कर्मचारी जितने योग्य और कुशल (Skilled) होंगे, किसी परियोजना के संचालन में उतना ही लाभ होगा। 
       निजी संस्थानों में नियुक्तियां योग्यता के आधार पर की जाती हैं, जबकि सरकारी संस्थानों में विभिन्न प्रकार के आरक्षण दिए जाते हैं। सरकारी संस्थानों में पदोन्नति में भी योग्यता को कम महत्व दिया जाता है। अतः आप समझ सकते हैं कि जब एक अकुशल व्यक्ति किसी Decision Making पद पर पहुंच जाए तो  संस्था को  कितना लाभ होगा।

3. प्रौद्योगिकी का उपयोग/ Adaptation of Technology -  निजी संस्थाएं वक्त वक्त पर अपनी तकनीकी को अपडेट करती रहती हैं जिससे वह नवीनतम तकनीकी(Latest Technology) का फायदा उठा कर संस्था को ज्यादा से ज्यादा Cost Effective  बना पाती हैं। 
      भारत में ज्यादातर सरकारी संस्थानों में Outdated तकनीकी का उपयोग होता है। जब भी नवीनतम तकनीकी को अपनाने की बात आती है, तो पक्ष और विपक्ष में खींचातानी शुरू हो जाती है।
इसका ताजा उदाहरण है- राफेल डील

4. प्रतिस्पर्धा/Healthy Competition -  निजीकरण में एक लाभ है कि जब दो निजी संस्थाओं में आपस में Healthy Competition होता है तो उसका सीधा लाभ उपभोक्ता को मिलता है।
        उदाहरण- Reliance jio ने एक प्रतिस्पर्धा शुरू की जिससे बाकी सारी company ने भी अपने दामों में जबरदस्त कटौती की जिसका लाभ लोगों को मिला वरना  BSNL तो किसी से Competition नही कर सका। 
       इसके अलावा भ्रष्टाचार (Corruption), Growth, Cost Effective Model आदि बिंदुओं पर भी चर्चा की जा सकती है, जिन पर मैं अभी विस्तार से बात नहीं करूंगा।

भारत में निजीकरण क्यो लाभदायक है?

        भारत में लगभग हर वर्ष होने वाले चुनाव पक्ष विपक्ष की आपस की खींचातानी से परे अगर भारत को विकास और प्रगति की राह पर तेजी से बढ़ना है तो ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों में निजीकरण (Privatization) करना चाहिए। इसके साथ ही साथ Feedback and Monitoring Policy बनानी चाहिए जिससे Public Interest बना रहे।
        भारत में आरक्षण संबंधी मुद्दा भी जल्दी सुलझने वाला नहीं है। इसलिए निजीकरण के माध्यम से कुशल लोगों को मौका देकर Growth की रफ्तार बढ़ानी चाहिए। 
       राजनीतिक हस्तक्षेप कम होगा और Growth तेज होगी तो नये रोजगार के अवसर पैदा होंगे। लोग भी धीरे-धीरे जागरुक होंगे और कौशल विकास (Skill Development) पर ज्यादा ध्यान देंगे, जिसकी हमारे देश में सबसे ज्यादा जरूरत है। जब लोगों की सोच Skill Development पर फोकस होगी तो देर-सबेर हमारी शिक्षा पद्धति भी उस दिशा में विकसित होने लगेगी। 
आपके तर्कपूर्ण विचार सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।
Shree Gangasagar

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है सत्येंद्र सिंह founder of ShreeGangasagar.com

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