श्री राम और गिलहरी की कहानी

श्री राम और गिलहरी की कहानी

 अनमोल वचन

🌹🌹 अपनी तुलना दूसरों से ना करें,
             हर फल का स्वाद अलग होता है।
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एक दिलचस्प कहानी के माध्यम से समझिए कि कैसे एक छोटी सी गिलहरी भी भगवान राम के काम आ गई। इसलिए ही कहते हैं कि किसी को भी कभी छोटा नही आंकना चाहिए। 

अनमोल वचन - श्री राम और गिलहरी की कहानी

एक गिलहरी ने कैसे की श्री राम की सहायता? 

       समुद्र पार करने के लिए सेतु बनाया जा रहा था। पूरी वानर सेना जय श्री राम के उद्घोष के साथ बड़ी - बड़ी शिलायें और पत्थर ले जा रहे थे और समुद्र में डाल कर सेतु को आगे बढ़ा रहे थे। नल-नील उन पत्थरों को आगे जोड़-जोड़ कर तैरते हुए पत्थर और शिलाओं को सही क्रम में लगा रहे थे। 

   श्री रामसेतु निर्माण के इस कार्य को देखकर एक गिलहरी के मन में भी उसमें अपना योगदान देने की तीव्र इच्छा हुई। वो भी भगवान राम के इस कार्य का हिस्सा बनना चाहती थी। वो गिलहरी बड़े-बड़े पत्थर तो उठा नही सकती थी।

   उस गिलहरी ने आस-पास की सभी गिलहरियों को इकत्रित किया और सब मिलकर छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर और छोटे मिट्टी के ढेले ले जाकर सेतु पर डालने लगी। 

      गिलहरी द्वारा इतने छोटे कंकड़ ले जाते देख वानर उनकी हंसी उठाने लगे। वानर सेना के वानर कहने लगे कि 'हम इतनी बड़ी चट्टान ले जा रहे हैं, तुम्हारे इन छोटे कंकड़ों से क्या होगा।' गिलहरी बिना किसी की बात पर ध्यान दिए लगातार अपना काम करती रही। 

       भगवान श्री राम सुग्रीव के साथ एक चट्टान पर बैठे सब देख रहे थे। जब सेतु बनकर तैयार हो गया तो श्रीराम ने गिलहरी को गोद में उठाकर हाथ फेरते हुए उनकी सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया। 

       ये सब देखकर महाराज सुग्रीव से रहा नही गया और उन्होने श्री राम से पूछ ही लिया कि "महाराज, वनार सेना ने बड़े-बड़े शिलाखण्डों से सेतु को बनाया है। इन गिलहरियों के छोटे कंकडों से क्या हुआ।"

       सुग्रीव जी की बात सुनकर राम उन्हें सेतु पर लेकर गये। सेतु की ओर दिखाते हुए श्री राम ने कहा, "निसंदेह इस सेतु को वानर सेना ने ही अपनी मेहनत से बनाया है लेकिन इसमें इन गिलहरियों का योगदान भी है। इन बड़े बड़े पत्थरों के बीच में ये छोटे-छोटे कंकड आदि के टुकडे इन पत्थरों को आपस में जोड़ने का काम कर रहे हैं। अगर ये नहीं होते तो ये पत्थर समुद्र की लहरों के साथ बह कर बिखर जाते। इस प्रकार इन गिलहरियों ने सेतु निर्माण में हमारी बड़ी सहायता की है।"


सारांश 

  हर कोई सब काम करने में सक्षम नही होता है लेकिन हर कोई कुछ न कुछ करने में सक्षम जरूर होता है। किसी की बराबरी करने से अच्छा है कि हम जो काम करने में सक्षम हैं उसको पूरी कर्तव्यनिष्ठा से करना करें। 



आपको कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर बतायें। धन्यवाद। 



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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है सत्येंद्र सिंह founder of ShreeGangasagar.com

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