हिजाब के समर्थन में आईं प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया है कि चाहे बिकनी हो, घूंघट हो जींस हो या हिजाब हो यह एक लड़की का अधिकार है कि वह यह निर्णय ले कि उसे क्या पहनना है। इस अधिकार की गारंटी भारत के संविधान द्वारा दी गई है।
इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि महिलाओं को प्रताड़ित करना बंद करो (stop harassing women) ।
चूंकि कर्नाटक में भाजपा की सरकार है इसलिए प्रियंका वाड्रा ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहन कर प्रवेश को लेकर ये बयान जारी किया है। इसका उद्देश उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा की गलत छवि बनाना है।Whether it is a bikini, a ghoonghat, a pair of jeans or a hijab, it is a woman’s right to decide what she wants to wear.
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 9, 2022
This right is GUARANTEED by the Indian constitution. Stop harassing women. #ladkihoonladsaktihoon
वैसे लोगों ने प्रियंका जी के इस बयान पर प्रतिक्रिया भी दी है।
Whoever wants to wear Bikinis in school, now is your time to shine. https://t.co/tJrrQzLy1f
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) February 9, 2022
कुछ लोगों ने बिकनी पहने लड़की को स्कूल जाते हुए पोस्ट किया।
बिकनी पहन कर स्कूल जाने का विचार तो प्रियंका वाड्रा ने कर लिया और लड़कियों के पहनावे को संविधान प्रदत्त अधिकार बता कर एक वर्ग विशेष का समर्थन भी कर दिया लेकिन संस्थाओं के अधिकारों को भूल गई।
जब बहुत सारे लोग एक दूसरे के आधिकार क्षेत्र में आते हैं तो उनको कुछ नियमों का पालन करना होता है ताकि दूसरों के अधिकारों का पूरी तरह हनन न हो।
किसी के अधिकार absolute नही होते हैं, क्योंकि यहां और भी लोग रहते हैं। इसलिए कानून और नियम बनाएं जाते हैं। अगर हर कोई यहां अपनी मनमानी करने लगे तो यह दुनिया रहने लायक नही बचेगी।
किसी संस्था में यूनिफॉर्म क्यों लागू की जाती हैं?
एक यूनिफॉर्म समानता का प्रतीक होती है और सार्वजनिक संस्थानों में इसलिए लागू की जाती है ताकि अलग अलग वर्ग से आए लोगों में समानता की भावना को बढ़ावा दिया जा सके।
शिक्षण संस्थानों में अमीर गरीब और हर जाति वर्ग के बच्चे पढ़ने आते हैं। ऐसे में अगर सब को अपनी मन मर्जी के कपड़े पहन कर आने दिया जाएगा तो उनमें भेदभाव उत्पन्न हो सकता है।
इसके साथ ही गरीब तबके से आने वाले बच्चों में हीनता की भावना भी आ सकती है।
अगर किसी एक वर्ग विशेष को उनके हिसाब की ड्रेस पहनने का समर्थन किया जाएगा तो उसकी प्रतिक्रिया में दूसरा वर्ग भी उसके हिसाब की ड्रेस पहनेगा और असमानता फैल जाएगी।
कुछ लोग अलग अलग तरह के तर्क देकर हिजाब का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि शिक्षण संस्थान किताब के लिए होते हैं हिजाब के लिए नही।
नेता क्यों दे रहे हैं हिजाब मामले को हवा?
इस पूरे मामले में कर्नाटक में काफी हंगामा हो चूका है और मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। वही कुछ नेता हिजाब के मुद्दे को उत्तर प्रदेश में भी उठा कर वहां के चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं।
चाहे प्रियंका वाड्रा का यह बिकनी वाला बयान हो या किसी दूसरे नेता का हिजाब का विरोध, यह सब सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए है। इसकी वजह से फैलने वाली अशांति और हिंसा की फिक्र किसी को नहीं है।
ऐसा भी माना जा सकता है कि कुछ नेता और पार्टियां तो चाहती ही है कि अशांति फैले।
यह एक व्यक्तिगत अधिकार और संस्था के अनुशासन को बनाए रखने के अधिकार के बीच का मामला है जिसे न्यायालय में ही निपटाना चाहिए और लोगों को इन नेताओं के चक्रव्यूह में फसने से बचना चाहिए।
लोगों को अपनी सोच और समझदारी से काम लेना चाहिए और नेताओं के प्रभाव में आकर गलत कदम उठाने से बचना चाहिए।
इस तरह की बयानबाजी राजनीतिक लाभ और साम्प्रदायिक हिंसा और अशांति को बढ़ावा दे सकती है। इसलिए अगर नेता लोग देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं तो न्यायालय का निर्णय आने तक बयानबाजी से बचे वही अच्छा है।